द्वितीय भाव : –

  1. किसी स्त्री की कुंडली मे यदि चन्द्र , गुरु 2 रे भाव मे हो तो वह गरिमामय , प्रतिष्ठित , उच्च पद पर आसीन होती है वह सरकारी सचिव , सलाहकार , शिक्षा व योजना विभाग में भी कार्य करने वाली हो सकती है , यदि शिक्षा ही कम हो तो ऐसी स्थिति में उसे घर – परिवार , ससुराल में सम्मान मिलता है ।
  2. यदि 2 रे भाव मे चन्द्र , शुक्र स्थित हो तो स्त्री की आंखे सफेद, जल से भरी हुई , बड़ी होती है । यदि ऐसे में 2 रे भाव का स्वामी भी 2 रे भाव मे ही हो तो वह स्त्री स्वभाव से हँसमुख , सौम्य , आकर्षक , मोहिनी होती है ।
  3. यदि शनि , राहू युति 2 रे भाव मे हो तो उसके चेहरे पर दाग होगा , नजर कमजोर होगी । यदि शनि , मंगल तो आंखे हल्की नीली रंगत वाली होगी । यदि केवल सूर्य इस घर मे हो और इस पर गुरु / चन्द्र / शुक्र – किसी की भी दृष्ट्री ना हो तो आंख के जाने या दृष्ट्री दोष के कारण नजर बेहद कमजोर हो जाती है ।
    पंचम और नवम भाव : –
    यह दोनो भाव सन्तान का भी संकेत देते है इनमे से किसी एक भाव या दोनो भावों में जितने अधिक ग्रह होंगे वह स्त्री उतनी ही संतानों को जन्म देगी यदि इन भावों में कोई भी ग्रह ना हो तो इन भावों के स्वामी जिन ग्रहो के साथ होंगे उतनी संख्या में संताने होंगी । लेकिन ऐसा होने पर भी यदि सन्तान सुख न हो तो ?
    इसका कारण 5 और 9 भाव पर क्रूर या शुभ ग्रह की दृष्ट्री होना है । लेकिन केतू यदि पंचम भाव मे अकेला हो या शुभ ग्रहों के साथ हो तो विवाह के 18 महीनों के भीतर ही सन्तान सुख दे देता है परन्तु यदि 5 वें भाव पर मंगल की दृष्ट्री हो तो प्रथम गर्भपात होता है ।

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