Bhaarat Sharma:
अब हम विषयवार शुरू करते है ।
” आयु “
सबसे पहले कोई भी व्यक्ति जन्म लेता है , फिर एक समय बाद मृत्यु को प्राप्त होता है ।
मृत्यु एक अटल सत्य है जो जन्मा है एक ना एक दिन उसे मृत्यु को प्राप्त होना ही है , कुछ लोग अल्पायु होते है कुछ मध्यायु तो कुछ लोग दीर्घायु होते है ।
केवल दीर्घायु होना ही काफी नही है बल्कि लम्बी उम्र तक स्वस्थ्य रहना भी जरूरी है यदि व्यक्ति दीर्घायु होकर 60 वर्ष की आयु में बिस्तर पकड़ लेता है और 80 वर्ष की आयु में मृत्यु को प्राप्त होता है तो उसे दीर्घायु होने का क्या लाभ ?
किसी व्यक्ति की आयु में वृद्धि करने वाले भाव होते है –
1 , 3 , 5 , 9 , 10 , 11
आयु कम करने वाले भाव होते है – 6 , 8 , 12
या 4 , 8 , 12
स्थिर राशि के लग्न ( 2 , 5 , 8 , 11 ) के लिए –
बाधक – 9
मारक – 2 , 7
नकारात्मक – 6 , 8 , 12
सकारात्मक – 1 , 3 , 5 , 10 , 11
: चर राशि के लग्न ( 1 , 4 , 7 , 10 ) के लिए बाधक – 11 वाँ भाव ।
मारक – 2 , 7
नकारात्मक – 6 , 8 , 12
सकारात्मक – 1 , 3 , 5 , 9 , 10
द्विस्वभाव राशि के लग्न ( 3 , 6 , 9 , 12 ) के लिए –
बाधक – 7
मारक – 2 , 7
नकारात्मक – 6 , 8 , 12
सकारात्मक – 1 , 3 , 5 , 9 , 10 , 11
आयु का निर्धारण 1 , 3 , 8 भावों से किया जाता है –
1 . व्यक्ति 3 . अष्टम से अष्टम 8 . आयु
मृत्यु प्रदाता ग्रह – शनि ।
व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए 3 D ठीक नही होते –
- Disease
2 . Denger - Defect
यानी 6 , 8 , 12 भाव ।
आयु के विषय मे शनि की भूमिका :-
शनि सबसे ठण्डा ग्रह है , मृत्यु का मुख्य कारक ग्रह है , मृत्यु समय गोचर में यह 8 वें भाव / लग्न भाव पर दृष्टि डालेगा या इन भावों में होगा अथवा मृत्यु समय दशा / भुक्ति / अन्तर में सामने आएगा ।
के पी आधरित नाड़ी ज्योतिष के अनुसार यह मृत्यु समय 6 , 8 , 12 भावों या लग्न राशि अनुसार प्रस्तुत बाधक घर मे गोचर में भी हो सकता है ।