यह भाव स्त्री की कुण्डली में उसके पाँव , शयन-सुख को सूचित करता है ।यदि 12 वें भाव मे जलीय राशि हो और कोई जल तत्व ग्रह(चन्द्र /शुक्र/ ,बुध) हो तो वह स्त्री सात्विक , धर्म – परायण और तीर्थस्थानों की यात्रा करने वाली होती है । यदि चन्द्र 12 वें भाव हो तो समुद्र पार देश की यात्रा भी होती है । यहाँ चन्द्र , मीन राशि मे हो और उस पर किसी अशुभ ग्रह की दृष्ट्री ना हो तो ऐसी स्त्री का जीवन वैभव से भरपूर होता है । उनका शयन – कक्ष सुन्दर होता है । साथ मे गुरु भी हो तो पैर के तलुओं में शुभ चिन्हों का संकेत भी मिलता है ।जबकि गुरु , शुक्र या गुरु , बुध 12 वें भाव मे एक साथ हो तो उस स्त्री का बिस्तर नरम , आरामदेह होगा ।राहू का 12 वें भाव होना ठीक नही भोजन कक्ष में वास्तु दोष अवश्य होता है ऐसी स्त्री पहाड़ों में घूमने की बहुत शौकीन होती है ।राहू के साथ सूर्य या चन्द्र 12 वें भाव मे होना ठीक नही , अनिद्रा की शिकायत होती है । पैरों में अचानक तकलीफ होती है जैसे हड्डी का बढ़ना ।मंगल और शनि 12 वें भाव हो तो अपनी दशा , भुक्ति में गम्भीर बीमारी भी देते है । लेकिन यदि शुभ ग्रहों की दृष्ट्री हो तो यह पीड़ा कम होगी ।अकेला केतू इस भाव मे हो तो सिफलिस , गनोरिया जैसे संक्रामित रोग भी होता है ।