नवम भाव

नवम भाव के गुप्त रहस्य

नवम भाव – अपने गुरु का , धर्म का , उच्च शिक्षा का , विश्वास , तत्व ज्ञान , सभी धार्मिक संस्थान , उच्च विचार , अनुसन्धान , आविष्कार का , नवम भाव धनु राशि के स्वामी गुरु से संचालित होती है , प्राचीन काल मे पिता ही संतान का आध्यात्मिक गुरु होता था , नवम भाव को लग्न मानते हुए हम पाते है कि वहाँ से पंचम भाव जातक को सूचित करता है , अतः नवम भाव ही पिता का भाव होगा ।
यह भाव आत्माओं द्वारा प्राप्त सन्देशों का भी है , लम्बी यात्रा , तीर्थ स्थान , अजनबी लोग / विदेशी लोगो से सम्बन्ध , धार्मिक पुस्तकें , कानून का भाव , अंतर्राष्ट्रीय मामले , रेस्ट – हॉउस , न्यायाधीश , यूनिवर्सिटी , रेडियो , वायरलेस सिस्टम , कम्युनिकेशन , तपस्या , जीवनसाथी / पार्टनर की छोटी यात्रायें , 6 भाव से चतुर्थ भाव होने के कारण अधीनस्थ कर्मचारी / सेवक की सम्पत्ति का भाव , पंचम से पंचम होने से पंचम भाव के लिए पूरक भाव की तरह कार्य करता है , माता की बीमारी , बड़े भाई / बहन के मित्रों का भाव भी है ।
व्यक्ति द्वारा ली जाने वाली प्रतिज्ञा , ईश्वर में विश्वास , मन्दिर / चर्च / गुरुद्वारा / मस्जिद , कानूनी सलाह , दूसरा विवाह , अवैध सम्बन्ध आदि का भाव है ।

व्यक्ति का झुकाव आध्यात्म की ओर देखने के लिये भी नवम भाव का विश्लेषण किया जाता है और इसके लिए इस भाव का सम्बन्ध केतू व गुरु से होना आवश्यक है । नवम भाव बलवान हो तो व्यक्ति में कुछ नया करने की चाह रहती है । यह भाव अगले जन्म को समझने के लिये भी देखा जाता है इस भाव के उपनक्षत्र स्वामी का सम्बन्ध शुभ भावों के समूह से होने पर अगला जन्म शुभ रहता है । यह भाव दशम से बारहवां होने से कामकाज में परिश्रम की कमी को भी सूचित करता है । इस भाव से अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय सम्बन्धी विषयों को भी देखा जाता है । घर मे पूजा स्थल भी नवम भाव है ।

” भाग्य “
नवम भाव को भाग्य का भाव भी कहा गया है यदि 9 वें भाव का उपनक्षत्र स्वामी 1 , 2 , 3 , 6 , 10 , 11 भावों का सूचक हो तो व्यक्ति को व्यवसाय या कामकाज में आसानी से सफलता मिलती है । लेकिन इस बात पर विचार करते समय यह भी देखे कि व्यक्ति की दशा या भुक्ति में 5 , 8 , 12 एक्टिव तो नही ।
सब कुछ अच्छा होते हुए भी यदि 9 भाव का स्वामी यदि 8 वें भाव मे चला गया तो व्यक्ति के भाग्य में भारी रुकावट आ जाती है या सम्पूर्ण जीवन का उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है , दुख , अपमान उसके साथी बन जाते है ।

अब वास्तव में भाग्य का भाव कोनसा ?
तो याद रखे – ” 12 के 12 भाव ही भाग्य के भाव होते है “
सभी भाव हमे कुछ ना कुछ देते है । अब जिस भाव का उपनक्षत्र स्वामी 6 , 8 , 12 / 5 , 8 , 12 / 4 , 8 , 12 का सूचक बनेगा उस भाव सम्बन्धी फल अच्छे नही मिलेंगे ।

” लम्बी यात्रा ” :-
छोटी यात्रा – लगभग 500 किलोमीटर तक के लिए 3 रा भाव देखे , 500 से लगभग 2000 किलोमीटर तक की यात्रा के लिए नवम भाव पर विचार करे और विदेश यात्रा के लिए 12 वें भाव से विचार करें ।
नवम भाव का उपनक्षत्र स्वामी यदि 4 , 9 भावों का सूचक हो तो लम्बी यात्रा होती है यदि बुध / गुरु / चन्द्र में से कोई भी सम्बन्धित हो तो शिक्षा के लिए लम्बी यात्रा होगी ।
यदि – 5 वां भाव सूचक हो – मनोरंजन हेतू ।
9 वां भाव ही सूचक हो – धार्मिक यात्रा ।
6 / 10 भाव सूचक हो – सर्विस के लिये ।
7 / 10 भाव – बिजनेस के लिए ।
7 , 11 भाव सूचक हो – विवाह के लिए ।
1 , 6 , 8 भाव सूचक हो – इलाज के लिए ।

” सन्यासी बनना ” :-
यदि 9 भाव के साथ लग्न का उपनक्षत्र स्वामी भी केतू या शनि हो या 1 और 9 भाव के उपनक्षत्र स्वामी केतू या शनि हो होकर 3 , 9 , 12 के सूचक हो तो व्यक्ति सन्यास मार्ग की ओर अग्रसर होता है ।

लेकिन यदि लग्न का उपनक्षत्र स्वामी केतू हो और इसका नक्षत्र स्वामी 9 भाव का सूचक हो , मंगल / शुक्र से सम्बंधित हो तो व्यक्ति घर पर ही सन्यासी की तरह रहता है ।

” धर्म परिवर्तन किस लिये ” : –
यदि 9 वें भाव का उपनक्षत्र स्वामी 4 , 8 , 12 का सूचक हो तो – भक्ति मार्ग के लिए ।
2 , 6 , 10 का सूचक हो तो – कर्म मार्ग के लिये ।
3 , 7 , 11 का सूचक हो तो – धर्म का उपदेश देने के लिए ।
1 , 5 , 9 का सूचक हो तो – मन्त्र सिद्धि / आत्म विकास के लिये ।

” क्या अच्छे गुरु की प्राप्ति होगी ? “
यदि नवम भाव का उपनक्षत्र स्वामी 5 / 9 / 10 /11 भावों का सूचक होकर केतू या गुरु से सम्बन्धित हो तो अच्छे गुरु की प्राप्ति होती है ।

लेकिन कोनसा धर्म अपनाएगा यह डिसाइड करना मुश्किल है । क्योकि धर्मो की संख्या भी अधिक है । सभी धर्मों के कोई ना कोई संस्थापक है लेकिन हिन्दू धर्म का कोई संस्थापक नही है क्योकि यह सनातन धर्म है , एक लाइफस्टाइल है। जब अन्य धर्मों का जन्म भी नही हुआ तभी से सनातन पद्धति चली आ रही है ।

कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन क्यों करता है ?
राहू और गुरु के कारण ।
पिता से सम्बन्ध : –
यदि 9 भाव का उपनक्षत्र स्वामी 8 , 12 का सूचक हो तो पिता से अधिक सहयोग नही मिलता ।
यह भी पाया गया है कि सूर्य , राहू की युति हो या गुरु , राहू की युति हो तो भी पिता से सम्बन्ध अच्छे नही रहते या पिता से नही बनती ।

नवम भाव का उपनक्षत्र स्वामी जब विभिन्न भावों का सूचक बनता है तब : –
लग्न का सूचक हो तब धार्मिक , उदारवादी , उच्च शिक्षा में रुचि , सोचसमझकर कार्य करने वाला , बुद्धिमान होगा ।
द्वितीय भाव का सूचक हो तब धार्मिक बातें करने वाला , विदेशी और अजनबियों से लाभ , धार्मिक व्याख्यान देने में कुशल , पिता से धन प्राप्त करने वाला होगा ।
तृतीय भाव का सूचक हो तब विदेश यात्रा , संचार साधनों से लाभ , कोई अनुसंधान करना , विभिन्न पत्रिकाओं में लेख लिखना , अधिकतर यात्रा में रहना ।
चतुर्थ भाव का सूचक हो तब उच्च शिक्षा , शिक्षक , अध्यापन कार्य में रुचि , बुद्धिमान व्यक्ति ।
पंचम भाव का सूचक हो तब सन्तान का सहयोग मिलता रहता है , शीघ्र निर्णय लेने की क्षमता , ज्योतिष में रुचि , कई विषयों का जानकार ।
जब छँटवे भाव का सूचक हो तब अच्छा सलाहकार , कानूनी मामलों का अच्छा सलाकार , प्रतियोगिता परीक्षा का शिक्षक ।

जब सप्तम भाव का सूचक हो तब तब जीवनसाथी और साझेदार से अच्छे सम्बन्ध , एक जीवनसाथी के होते हुए दूसरे व्यक्ति से भी सम्बन्ध बनता है ।
जब अष्टम भाव का सूचक हो तब शिक्षा में रुकावटें , नास्तिक , यात्रा में खतरा , परेशानी , पिता को कष्ट , पूजा पाठ , जाप में असफलता ।
जब नवम भाव का सूचक हो, हमेशा अपने आसपास का माहौल बदलना पसन्द करना , धार्मिक विषयों में निपुण , बुद्धिमान व्यक्ति ।

जब दशम भाव का सूचक हो तब अच्छे परिवार में जन्म , जन्म स्थान से दूर उच्चस्तरीय रहन – सहन , किसी धार्मिक संस्थान का ट्रस्टी ।
जब ग्यारहवें भाव का सूचक हो तब लम्बी यात्राओं से लाभ , उच्च शिक्षा का लाभ , विदेश में उच्च कोटि का शिक्षक , किसी विषय पर सफल अनुसंधानकर्ता ।
जब बारहवें भाव का सूचक हो तब जन्म स्थान से दूर निवास , अधिकतर लम्बी यात्राओं में रहना , खोजकर्ता ।
लेखक : भारत शर्मा (के पी & के बी एस्ट्रोलॉजर )
9826096393

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