” काम – भाव “

  1. काम भाव और विवाह के प्रमुख ग्रह : –
    सनातन धर्म मे 4 पुरुषार्थ का उल्लेख मिलता है : –
  2. धर्म 2. अर्थ 3. काम 4. मोक्ष .
    ये 4 पुरुषार्थ जन्म कुंडली के तीन – तीन भावों द्वारा सूचित किये जाते है –
  3. धर्म – 1 , 5 , 9
  4. अर्थ – 2 , 6 , 10
  5. काम – 3 , 7 , 11
  6. मोक्ष – 4 , 8 , 12
    इसके अलावा राशियों को लेकर भी तीन वर्ग बनाये गये है : –
  7. भौतिक वर्ग – 1 , 4 , 7 , 10
  8. मानस वर्ग – 2 , 5 , 8 , 11
  9. आध्यत्म वर्ग – 3 , 6 , 9 , 12
    हमारा मुख्य विषय काम त्रिकोण 3 , 7 , 11 से है । यह विवाह , नियमित सेक्स लाइफ , पति / पत्नी का प्रतिनिधित्व करता है , इसका प्रथम अंक 3 आध्यत्म वर्ग से लिया गया है , जन्म कुंडली मे 3 अंक की राशि मिथुन है जिसे स्त्री- पुरुष समागम के चित्र द्वारा दर्शाया गया है । यह भाव पंचम ( प्रेम ) से 11 वां होने से प्रेम सम्बन्धों में स्थायित्व , शौर्य , पराक्रम को सूचित करता है । यह भाव सप्तम से नवम अर्थात त्रिकोण में आता है । इस त्रिकोण ( 3 , 7 , 11) का तीसरा भाव 11 वां है जिसे मानस वर्ग से लिया गया है । यह भाव सप्तम से पंचम अर्थात त्रिकोण में आता है यह भाव सप्तम भाव के पूर्व पुण्यों को सूचित करता है ।
    इस प्रकार प्रकृति ने सृष्टि की रचना के कार्य को निरंतरता प्रदान करने के लिये आध्यत्म , मानस और भौतिक को मिलाकर स्त्री – पुरुष सम्बन्धों की माया रची है । आजकल की युवा पीढ़ी को यह समझाना होगा कि विवाह कोई खेल या मात्र मनोरंजन का साधन नही बल्कि एक सामाजिक संस्था है , काम नामक पुरुषार्थ की प्राप्ति का माध्यम है जिसे साधे बगैर मोक्ष को प्राप्त नही किया जा सकता ।
    सेक्स या कामवासना सभी जीवित प्राणियों की एक प्राकृतिक आवश्यकता है । भारत शर्मा 9826096393

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